तीर्थंकर महावीर की मौलिक आज्ञाएं - १
भगवान् ने कैवल्य प्राप्त कर
विश्व को नित्य और अनित्य -
दोनों दृष्टियों से देखा और
धर्म का प्रतिपादन किया |
उस धर्म की मूल आज्ञाएं इस प्रकार हैं -
* किसी प्राणी को आहत मत करो |
* किसी प्राणी पर शासन मत करो |
उसे पराधीन मत करो |
* किसी प्राणी का परिग्रह मत करो -
उन्हें दास-दासी मत बनाओ |
* किसी प्राणी को परितप्त मत करो |
* किसी प्राणी के प्राणों का वियोजन मत करो |
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तीर्थंकर महावीर की मौलिक आज्ञाएं - २
भगवान् ने कैवल्य प्राप्त कर
विश्व को नित्य और अनित्य -
दोनों दृष्टियों से देखा और
धर्म का प्रतिपादन किया |
उस धर्म की मूल आज्ञाएं इस प्रकार हैं -
* क्रोध का सेवन मत करो |
* लोभ का सेवन मत करो |
* भय मत करो - व्याधि, जरा और मौत से भी मत डरो |
* हास्य मत करो |
* बुरा चिंतन मत करो |
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तीर्थंकर महावीर की मौलिक आज्ञाएं - ३
भगवान् ने कैवल्य प्राप्त कर
विश्व को नित्य और अनित्य -
दोनों दृष्टियों से देखा और
धर्म का प्रतिपादन किया |
उस धर्म की मूल आज्ञाएं इस प्रकार हैं -
* असत्य मत बोलो |
* ब्रह्मचर्य का आचरण करो |
* निर्वाण का संधान करो |
* अदत्त मत लो - चोरी मत करो |
* आसक्ति को छोड़ो - संग्रह मत करो |
* हाथ, पैर, मन और इंद्रिय का अपने आप में समाहार करो |
- आचार्य श्री महाप्रज्ञजी की
" श्रमण महावीर " पेज संख्या - २६६-२६७ से
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