सबसे मैत्री
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गणधर गौतम पूछते जा रहे थे,
वीर प्रभु बताते जा रहे थे -
गौतम ! मैं पहला पारणा एक ब्राह्मण के यहाँ किया,
क्योंकि क्षत्रिय और ब्राह्मण में समन्वय करना चाहता था |
मेरे चारों ओर तुम लोग भी ब्राह्मण ही हो |
फिर, नारी-जाति के उत्थान के लिए १७५ दिन तक भोजन ग्रहण नहीं किया,
चंदनबाला के हाथ से भिक्षा ली |
दास-प्रथा पर मेरा अहिंसक प्रयोग था |
मेरी समता में पशु-पक्षियों का मूल्य कम नहीं है |
चंडकौशिक सर्प मुझे डसता रहा और मैं उसे प्रेम से देखता रहा |
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गणधर गौतम पूछते जा रहे थे,
वीर प्रभु बताते जा रहे थे -
गौतम ! मैं पहला पारणा एक ब्राह्मण के यहाँ किया,
क्योंकि क्षत्रिय और ब्राह्मण में समन्वय करना चाहता था |
मेरे चारों ओर तुम लोग भी ब्राह्मण ही हो |
फिर, नारी-जाति के उत्थान के लिए १७५ दिन तक भोजन ग्रहण नहीं किया,
चंदनबाला के हाथ से भिक्षा ली |
दास-प्रथा पर मेरा अहिंसक प्रयोग था |
मेरी समता में पशु-पक्षियों का मूल्य कम नहीं है |
चंडकौशिक सर्प मुझे डसता रहा और मैं उसे प्रेम से देखता रहा |
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