महावीर प्रभु के चरणों में -
महावीर प्रभु के चरणों में, श्रद्धा के कुसुम चढाएं हम |
ऊंचे आदशों को अपना, जीवन की ज्योति जगाएं हम ||
१. तप संयममय शुभ साधन से, आराध्य-चरण आराधन से |
बन मुक्त विकारों से सहसा, अब गीत विजय के गायें हम ||
२. दृढ निष्ठा नियम निभाने में, हो प्राण बलि प्रण पाने में |
मज़बूत मनोबल हो ऐसा, कायरता कभी न लायें हम ||
३. यश-लोलुपता, पद-लोलुपता, न सताए कभी विकार-व्यथा |
निष्काम स्व-पर कल्याण काम, निज पल-पल सफल बनाएँ हम ||
४. गुरुदेव-शरण में लीन रहें, निर्भीक धर्म की बाट बहें |
अविचल दिल सत्य, अहिंसा का, दुनिया को सुपथ दिखाएँ हम |
५. प्राणी-प्राणी सह मैत्री हो, ईर्ष्या, मत्सर, अभिमान न हो |
कहनी-करनी इकसार बना, 'तुलसी' तेरा पथ पाएं हम ||
रचयिता - आचार्य श्री तुलसी
महावीर प्रभु के चरणों में, श्रद्धा के कुसुम चढाएं हम |
ऊंचे आदशों को अपना, जीवन की ज्योति जगाएं हम ||
१. तप संयममय शुभ साधन से, आराध्य-चरण आराधन से |
बन मुक्त विकारों से सहसा, अब गीत विजय के गायें हम ||
२. दृढ निष्ठा नियम निभाने में, हो प्राण बलि प्रण पाने में |
मज़बूत मनोबल हो ऐसा, कायरता कभी न लायें हम ||
३. यश-लोलुपता, पद-लोलुपता, न सताए कभी विकार-व्यथा |
निष्काम स्व-पर कल्याण काम, निज पल-पल सफल बनाएँ हम ||
४. गुरुदेव-शरण में लीन रहें, निर्भीक धर्म की बाट बहें |
अविचल दिल सत्य, अहिंसा का, दुनिया को सुपथ दिखाएँ हम |
५. प्राणी-प्राणी सह मैत्री हो, ईर्ष्या, मत्सर, अभिमान न हो |
कहनी-करनी इकसार बना, 'तुलसी' तेरा पथ पाएं हम ||
रचयिता - आचार्य श्री तुलसी
Ye bhajan kis hindi gaane ki dhun per bana hai
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