महावीर-वाणी -
क्रोध आने पर मनुष्य दुसरों के गुणों को नहीं देखता,
दूसरों के गुणों की निंदा करने लगता है |
क्रोध से मनुष्य नहीं कहने लायक बात कह डालता है |
क्रोध से मनुष्य रौद्र बन जाता है |
वह मनुष्य होने पर भी नारकीय जैसा हो जाता है |
( भगवती-आराधना १३६६ )
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