Saturday, May 19, 2012

महावीर-वाणी - पाप


भगवान् महावीर -
जो पुरुष पाप करता है,
उसे निश्चयतः अपनी आत्मा प्रिय नहीं है,
क्योंकि आत्मा के द्वारा कृत कर्मों का फल आत्मा स्वयं ही भोगती है |
- उत्तराध्ययन ४५ : ३ 

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