Tuesday, May 1, 2012

संस्कार शुद्धि ही धर्म है

संस्कार शुद्धि ही धर्म है !!!
मैं संस्कारों की शुद्धि को धर्म कहता हूं |
मैं शरीर को कष्ट देने को धर्म नहीं कहता हूं |
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रोगी कड़वी दवा पीता है, 
क्या अनिष्ट कर रहा है ?
ज्वर से पीड़ित मनुष्य स्निग्ध खाना खा रहा है, 
क्या इष्ट कर रहा है ?
- भगवान् महावीर 

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